कसाई की अन्तिम प्रार्थना - भागवत शरण झा 'अनिमेष'
ऐ मालिक
अगले जनम में मुझे
कसाई ही बनाना
ताकि मैं पा सकूं
घृणास्पद सम्बोधन
और लोगों की नजर
उन शिष्ट-विशिष्ट
शीर्षस्थ और परम दयावान
विभूतियों पर नहीं पर सके
जो वाकई कसाई हैं -
आदमी के गोश्त का
करते हैं कारोबार।
हे ईश्वर
मैंने जिबह से पहले
और हलाल के बाद
सन्त फ़कीर की तरह
सच्चे मन से की है दुआ
तुझे
वधस्थल के करुणा की सौगन्ध।
मेरी प्रार्थना को
मत करना अस्वीकार
अन्यथा लोगों का विश्वास
भगवान् और इंसान
दोनों पर से उठ जाएगा
और जीने की तमाम सम्भावनाएं
समाप्त होती नजर आयेंगी।
आदमी से ज्यादा खुशनसीब वे पशु हैं
जो वधस्थल पर बंधकर भी
इत्मीनान से जुगाली करते हैं
मेरे देश के निरीह लोगों को
कम-से-कम इस नियामत से
वंचित मत करना -
यह मेरी अन्तिम प्रार्थना है।
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(-भागवत शरण झा 'अनिमेष')
(English translation of the above poem by Hemant Das 'Him' )
Butcher 's Last Prayer - Bhagwat
Sharan Jha 'Animesh'
Hey boss
Me in the next life
Make me butcher
So that I may attain
Offensive remarks
And those who in the eye of public,
Are elite and sober
Who are the top-breed and most
compassionate
Who are really butchers
And deal in human flesh .
Should not come in limelight
|
Bhagwat Sharan Jha 'Animesh' |
O God
I have before slaughter
And after it
Prayed faithfully
Like a Saint or Fakir
Thee
The promise of compassion of slaughter-house
Please do not reject my prayer
Otherwise people's trust
To God and man
Both will go down
And all scope of life
Will be seen coming to an end .
Animals are more fortunate than
human
Who even being tied to the slaughter-house
Leisurely chew cud
Please do not deprive
The innocent people of my country
- At least of this graciousness of
yours
This is my last prayer .
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