Monday, 15 August 2016

रक्षा बंधन पर डॉ. बी.एन. विश्वकर्मा की कविताएँ (Raksha Bandhan - Hindi Poems by Dr. B.N. Vishwakarma)



             

रक्षा-बंधन

देवासुर संग्राम में जब देवता रहे थे हार
वृहस्पति ने तब दिया उन्हें एक उपहार
बाँध कलाई पर रक्षा-कवच किया इंद्र का वंदन
श्रावण-पूर्णिमा को शुरू हुआ यह पर्व रक्षा-बंधन
फिर द्रौपदी ने कृष्ण को बाँधा रक्षा-बंधन
द्रोपदी की लाज बचाने आये देवकी-नन्दन
चाँद बीवी, महाराणा प्रताप, रमजानी- आलमसानी
भाई बहन के प्रेम की यह है अमर निशानी
बहन की रक्षा के लिए भाई देता है कुर्बानी
रक्षा-बंधन त्यौहार की यह है पवित्र कहानी.
(-डॉ. बी.एन. विश्वकर्मा)
पटना, मोबाइल- 9122720241
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 प्यारी छोटी बहना


ओ मेरी प्यारी छोटी बहना
है गाँव-घर का तू गहना
मानती है सबका कहना
गलत काम कभी न करना
मेरी है एक की इच्छा
पढ़-लिख कर तुम बनो अच्छा
जब बड़ी तू हो जाएगी
हमें छोड़ दूसरे घर जाएगी
हम सब देंगे तुम्हें आशीर्वचन
मुख पर रहे मुसकान खुश रहे मन
कभी भी न तू रोना धोना
ओ मेरी प्यारी छोटी बहना.
(-डॉ. बी.एन. विश्वकर्मा)

पटना, मोबाइल- 9122720241




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