Saturday 19 September 2015

ओ दु:ख - भागवत शरण झा ‘अनिमेष’( O Dukh - Bhagwat Shran Jha 'Animesh' )

Pain- the real artisan of humanity. Poet Bhagwat Sharan Jha Animesh speaks from within:
ओ दु:ख
आओ मुझे मांजो
जैसे मां मांजती है बरतन
किसान पिजाता है खुरपी
संत भांजता है विवेक



ओ दु:ख
मुझे लोहार की तरह असह्य अग्निदाह दो
फिर ठोको ठांय-ठांय-ठनक-ठनक
मुझे मेरा सही आकार दो
मोती की तरह छेदो मुझे
हीरे की तरह काटो-तराशो
सोने की तरह करो मेरी अम्ल-परीक्षा
ओ दु:ख हो सके तो मेरे मन में कर दो
पांच-सात छेद
फिर बजने दो मुझे बांसुरी की तरह

ओ दु:ख
जीवन का स्थायी भाव तेरे सिवाय कौन ?
ओ दु:ख
दे दो मुझको मेरा महामौन
कि मैं भी शिव बनकर विषपान करूं
क्योंकि मुझे पता है कि मैं तुझसे भाग सकता हूँ
बच नहीं सकता.
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(-भागवत शरण झा ‘अनिमेष’) मोबाइल-8086911256

Saturday 5 September 2015

अकथ-रस -भागवत शरण झा ‘अनिमेष’ ( Akath Ras - Bhagwat Sharan Jha 'Animesh' )

अकथ-रस (-भागवत शरण झा ‘अनिमेष’) मोबाइल: 08986911256

रात अकथ-रस भीनी साथी मौन मुखर सौ बार

आज समय के पास समय है

जीवन में जीवन है


लय है


जीवन के दिन चार


बात अकथ-रस-भीनी साथी मौन मुखर सौ बार

...


जग है सोया रात जगी है

बात रात की प्रेम-पगी है

नीरव

नेह प्रगाढ़

रात चदरिया झीनी साथी मौन मुखर सौ बार
...

रात अकथ-रस-चित्रकथा है

सुख में अनुदित सकल व्यथा है

फलित

ललित भिनसार

रात अजब रस-भीनी साथी आज शिखर पर प्यार

रात अकथ-रस भीनी साथी मौन मुखर सौ बार.

(-भागवत शरण झा ‘अनिमेष’) मोबाइल: 08986911256

नयन- भागवत शरण झा ‘अनिमेष’ ( Nayan - Bhagwat Sharan Jha 'Animesh')

नयन (कवि- भागवत शरण झा अनिमेष’) मो. 08986911256

नयन तेज तरछेउआ हंसुली
हंस-हंस करे हलाल

बिन देखे यह जनम अकारथ
जिन देखे
बेहाल

तक नयन में सकल सुहावन
लाग लगावन
भाग जगावन
मादक मध्रुर मलाल

एक नयन में श्यामल बादल
जिसको जग
कहता है काजल
एक साथ संकोच चपलता का यह
गहरा ताल

नयन तेज तरछेउआ हंसुली
मन-बस करे हलाल

(-भागवत शरण झा अनिमेष’) मो. 08986911256