कविता-1 (गीत)
सब भाषाएँ भाई-बहन हैं,
दक्षिण को यह भान दो
हिन्दी को सुस्थान दो साथी हिन्दी
को सम्मान दो
जन जन का अरमान है हिन्दी
राम कृष्ण रहमान है हिन्दी
भारत की पहचान है हिन्दी
मीरा और रसखान है हिन्दी
मिल जुलकर अब वतन को
प्यारों अपनी एक जुबान दो
हिन्दी को
सुस्थान दो साथी हिन्दी को सम्मान
दो
अपने ही आँगन में
हिन्दी
बनी आज
निर्वासिता
हिन्दी के जन ने
ही हिन्दी
से न रखा है
वास्ता
राष्ट्रभाषा के
हित में मत में अंतर को प्रस्थान दो
हिन्दी को
सुस्थान दो साथी हिन्दी को सम्मान दो.
(-प्रो. बी. एन.
विश्वकर्मा, पटना)
व्याख्याता एवं
साहित्यकार, मो.- 9122720241
कविता-2
हिन्दी भाषा अपनी
भाषा
इसका हो उत्थान
हम सब करते रहें
हमेशा
हिन्दी का सम्मान
हिन्दी भारत का
गौरव है
हिन्दी अपनी शान
सारे भारतीय करते
हैं
हिन्दी का
गुण-गान
भेद-भाव को भूल करें
हम
हिन्दी पर अभिमान
राष्ट्र भाषा पर
रहें एकमत
इसमें शक्ति महान
हिन्दी भाषा अपनी भाषा
इसका हो उत्थान.
(-प्रो. बी. एन. विश्वकर्मा, पटना)
व्याख्याता एवं साहित्यकार, मो.- 9122720241
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