Tuesday, 19 August 2014

खो गया है भीड़ में जो आदमी - भागवत 'अनिमेष' ( Kho gaya hai bhid me jo aadmi - Bhagwat 'Animesh' )




खो गया है भीड़ में जो आदमी 
- भागवत 'अनिमेष'

खो गया है भीड़ में जो आदमी,बन्धु ! मैं उस मौन का पर्याय हूँ 
हूँ तुम्हारे बीच की बिडम्बना, आज खुद से माँगता मैं न्याय हूँ। 

सम्बन्ध का हर बन्ध क्रंदन कर रहा 
नेह सरिता रिक्त होती जा रही है 
खो गए तुम अर्थयुग के अर्थ में 
शेष बातें व्यर्थ होती जा रही हैं 

जानता युगसत्य और युगधर्म मैं, बन्धु मैं तेरी तरह निरुपाय हूँ 
खो गया है भीड़ में जो आदमी,बन्धु ! मैं उस मौन का पर्याय हूँ 

ठहरी, ठिठकी, सहमी-सी यह चाँदनी 
कुछ अधूरे प्रश्न हमसे पूछती है 
हर कमल पर यन्त्रयुग की यंत्रणा 
आज के मनु को न श्रद्धा सूझती है

खुल सकी ना मन की कोमल ग्रन्थियाँ, बन्धु मैं उस स्वप्न का अभिप्राय हूँ 
खो गया है भीड़ में जो आदमी,बन्धु ! मैं उस मौन का पर्याय हूँ। 

(- भागवत 'अनिमेष')
मोबाइल - 8986911256





Wednesday, 29 January 2014

Adding professionalism to theater of Patna - Suresh Kumar Hazzu


Suresh Kumar Hazzu- Adding professionalism to theater of Patna
Suresh Kr. Hazzu- holding mike in hand




Suresh Kumar Hazzu is a reknowned veteran theatre artist of Patna. He is active in drama arta since last three decades. His believes in, " Buy ticket and watch theatare".

Today on 29.01.2014 a play titled "Saiya Bhaye Kotwal" was staged in Premchand Rangshala, Rajendranagar, Patna which was presented by Hazzu Musical Theatre (HMT). HMT was founded by Suresh Hazzu in 1998. The drama was a thorough success in terms of presentation of story embedded with music and dance.