Saturday 13 August 2016

Hasan Nawab Hasan and his Poems (हसन नवाब हसन और उनकी शायरी)




 Urdu poem with Hindi meaning given below the pictures


बेटी का मुकाम (मुकाम =देर तक ठहराव)

लड़की तो होती है अलाह की रहमत के लिए
बेटी बनती है माँ बाप की खिदमत के लिए
फिर बहन बनती है भाई से मुहब्बत के लिए
सब को छोड़ आती है शौहर की रेफ़ाक़त के लिए
शब्दार्थ: (1) रहमत = कृपा, (2) खिदमत = सेवा, (3) रेफाक़त = साहचर्य

आ के बेगानों को ये अपना बना लेती है
अपने दामन में भरा प्यार लुटा देती है
(1) बेगानों= अजनबियों, (2) दामन= झालर, तलहटी   

                 
बाप का प्यार तो मशहूर है बेटी के लिए
सारा दुःख बाप को मंज़ूर है बेटी के लिए
हो परीशाँ भी तो मसरूर है बेटी के लिए
दिल के ज़ज्बात से मजबूर है बेटी के लिए
(1) मसरूर = आनन्दित

थक के शाम को जब लौट के बाप घर आता है देख कर बेटी के चहरे को ख़ुशी पाता है.
           
कौन कहता है भला होती है ज़हमत बेटी
सच तो ये है के है अल्लाह की रहमत बेटी
होती है घर के लिए बायसे-बरकत बेटी
अपने माँ बाप के है कल्ब की राहत बेटी
(1) ज़हमत = परेशानी, (2) रहमत = कृपा, (3) बायसे-बरकत = समृद्धि का कारण, (4) कल्ब -= दिल

बेटे वालों को ये साअत कहाँ हाथ आती है
बेटी के घर पे तो खुशियों की बारात आती है.


प्यार से अपने अँधेरे में उजाला कर दे
हर नए घर की ये रौनक को दोबाला कर दे
ख़ार की डाली को भी फूलों की माला कर दे
अपनी आग़ोश में अदना को ये आला कर दे
(1) दोबाला = दोहरा, (2) अदना, आला=छोटा, बड़ा

एक दूल्हन घर के लिए रस्के-जेनां बनाती है
पाती मेराज है जब बीवी से माँ बनती है.
         
(1) रस्के-जेनाँ = स्त्रियों को शर्मानेवाली, (2) मेराज = ऊँचाई

क्या मुकाम होता है बेटी का ये किसने जाना
नस्ल बेटे ही से बढती है ये सब ने समझा
क्या शरफ़ बेटी को 'अहमद' की खुदा ने बख्शा
नसले-सादात बढ़ी कैसे किसी ने सोचा?
(1) मुकाम = स्थायी पड़ाव, (2) शरफ = सम्मान, (3) नसले-सादात = सैयदों की नस्ल

इस हकीकत को मुसलमान गए शायद भूल
लोग हसनैन ही को कहते थे फ़रज़न्दे-रसूल
(1) हसनैन = हसन और हुसैन = रसूल के नाती जिन्हें लोग रसूल का बेटा समझते थे, (2) फ़रज़न्दे-रसूल = रसूल के बेटे


सिर्फ बेटी को ही हासिल है ये दुनिया में मकाम
बन के माँ के करती है खल्के-बनियादम का ये काम
कुछ तो इस बात से हम लोगों को मिलता है पयाम
अपनी बेटी को मुहम्मद किया करते थे सलाम
(1) पयाम = सन्देश

बेटा होता कहाँ बेटी जो न होती मौजूद
बेटी माँ बन के अता करती है बेटे को वजूद.
(-हसन नवाब 'हसन')
मोबाइल- 7091978189
snawab.hasan14@gmail.com
Poet - Hasan Nawab 'Hasan'
Note- Sri Hasan is a reknowned poet in Bihar.

Poet- Hasan Nawab Hasan



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