Thursday, 8 September 2016

डॉ. बी. एन. विश्वकर्मा- 'क्यों छोड़ न देते पीना-पिलाना' (Dr. B.N. Vishwakarma- 'Kyon Chhor na dete Pina Pilana)



क्यों छोड़ न देते पीना-पिलाना
(कवि- डॉ. बी. एन. विश्वकर्मा, पटना) मो. 9122720241)
क्योंछोड़ न देते पीना-पिलाना

और आना-जाना मधुशाला.

मधुशाला तुम्हें लुभाएगी
रंगीनियाँ तुम्हें हरषायेगी 
मधुबाला नित सज धज कर तुम्हें 
नित अपने पास बुलायेगी.

जाने पर साथी मिल जाते
सब पीते और पिलाते हैं
दुर्दिन में आते काम नहीं
पल भर नहीं हाथ मिलाते हैं.

रमुआ का घर नीलाम हुआ
तब कौन बचाने आया था
जब बेवा की इज्जत लुट गई थी
तब कौन सामने आया था.

पीकर गंदे नालों में गिरते
तब न बचाती मधुशाला.
घर में जब मातम फैला हो
नजर न आती मधुबाला.

उस रोज मरा था रामरतन
पर आज न जाने कौन मरा
हो रहे रोगी तुम पी पीकर 
परिवार छुटा अच्छा भाला.

क्यों छोड़ न देते पीना-पिलाना
और आना-जाना मधुशाला.
(-डॉ. बी. एन. विश्वकर्मा, पटना) 
मो. 9122720241)

No comments:

Post a Comment