Saturday 23 July 2016

भावना कंठ और त्रिदेवी गगनपरी: कवि- लक्ष्मी नारायण कंठ (Bhawana Kanth and Tridevi Gaganpari: Poet- Lakshmi Narayan Kanth)



त्रिदेवी
(Dedicated to  the first Fighter Pilots of India - 
Bhawana Kanth, Avni Chataurvedi and Mohana Singh)
भवानी बनी भावना
करके कंटकी सामना
तान छेड़ी मोहना
शक्ति अपनी खोजना
पहचान शक्ति अपनी
आगे बढ़ी अवनी

त्रिदेवी मेरा नमन
खिलता भारत चमन
सुरक्षित हमारा गगन
शौर्यवीर साहस रमण

दुर्गा काली व सरस्वती
देवी रूपा वो भगवती
प्रेरक बन कर राह सजाती
नभ नवीन इतिहास बनाती

एक दिन निश्चित मरण
प्रकृति का यही चलन
माता का ममतामयी शरण
पिता का पावन चरण
द्वय समन्वय गूंजे गगन
बार-बार मेरा नमन.

शत्रुओं का होगा दमन
विश्व में कायम होगा अमन
त्रिदेवी का यह गर्जन
सुनो हमारा यह वतन
बाँधा है हम ने कफ़न
डरा न सकता हमें मरण.

(-लक्ष्मी नारायण कंठ)
मो9973360962





भावना कंठ -1
(भा- भारत व- वन्दे ना- नारी)
साहस की बलिहारी
बन गई सबकी प्यारी
ताकत तेरी न्यारी
सरपट की अब पारी
भारत की जिम्मेदारी
नारी जग नहीं हारी
भारत वन्दे नारी.

गर्व करे सर्वत्र बिहारी
दुश्मन पर है सबसे भारी
तू भारत की है वीर नारी
करती संघर्ष की सवारी
करके अपनी अथक तैयारी
तू बनी शान-मान हमारी
भारत वन्दे नारी.
(कवि -लक्ष्मी नारायण कंठ)

भावना कंठ -2
भारत का जन-जन तेरा पुजारी
निश्छल ज्ञान, तू सत्यरत नारी.
धन्यकृत पुण्य गगन विहारी
सकल शक्ति रूपा अवतारी
बंधन काट किया हितकारी
प्रेरक बनी कंठ-विषधारी.
(कंठ-विषधारी = शिव)

उन्नत भाल बाऊर-रसियारी
(बाऊर-रसियारी = ग्राम का नाम)
पूजहिं मन कामना तुम्हारी
धन्य भाग मिथिलेश कुमारी  
(मिथिलेश = पिता का नाम)
    तेज तृप्त राधा महतारी      
(राधा = माता का नाम)
जिनके हिये भावना सदाचारी
कंठ मगन सुनकर किलकारी.
(कवि -लक्ष्मी नारायण कंठ)
मो9973360962
Poet- L.N. Kanth

No comments:

Post a Comment