Saturday 16 July 2016

Ghazal by Narayan Singh 'Naman' ( नारायण सिंह 'नमन' की गज़ल )

गज़ल





न जाने कैसी बात पर रोई मेरी गज़ल
परेशान रही रात भर न सोई मेरी गजल

कुछ अपने दिल का दर्द था कुछ औरों के गम का जिक्र
महफिल में सब की आँख यूँ भिंगोई मेरी गज़ल

दहशत भरी उस रात में सूनी सड़क के पार
गुजरा गुनगुना के कल कोई मेरी गज़ल

सब फूल चुन रहे थे मगर वो रहे खामोश
चुपके से उसने आँख में समोई मेरी गज़ल

उस बागबाँ को क्या कहूँ वो दिवाना नहीं तो क्या
खुशबू की क्यारियों में बोई मेरी गज़ल.
(-नारायण सिंह नमन’)
मोबाईल- 09431811189

श्री नारायण सिंह 'नमन' पेशे से शिक्षक हैं और पटना में रहते हैं. उनकी एक और बंदिश प्रस्तुत है-


(Poetic English translation given below)
"न पूछ ये बच्चा सुबह उठ कर क्या कुछ खास करता है
कूड़े के ढेर में वो अपना सूरज तलाश करता है


मैं तो हैरान हूँ तेरे अब भी मुस्कुराने पर
क्यों नहीं तुझे भी ये मंजर उदास करता है"
(-नारायण सिंह 'नमन')
"Don't ask me dear what this little kid is doing in this fine morning
Looking every bit of rags he is searching his Sun that would make him king
I am amazed how you are still able to manage your smile
Why this sad state of affairs does not make your heart mourning"
( Originally written by Narayan Singh 'Naman'. Translated by Hemant Das 'Him')

श्री नारायण सिंह 'नमन' पेशे से शिक्षक हैं और पटना में रहते हैं. 


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